विशेष: हमारे द्वारा नि शुल्क जन्म कुंडली देखी जाती है एवं सभी समस्या का निवारण किया जाता है। मुख्य रूप से हमारे द्वारा कि जाने वाली पूजा वैधव्य दोष निवारण ,ग्रहण दोष कालसर्प दोष, मंगल भात पूजा, महामृत्युंजय जाप, दुर्गा सप्तशती पाठ, बगलामुखी हवन, वास्तु शांति, यज्ञ,जन्म कुंडली फलित, महारूद्र अभिषेक, एवं समस्त मांगलिक कार्य वेदोक्त पद्धति के साथ संपन्न कराये जाते है । धार्मिक अनुष्ठानो में रूचि अपने बाल्यकाल से ही थी पंडित जी को समस्त प्रकार के अनुष्ठानो का प्रयोगात्मक ज्ञान एवं सम्पूर्ण विधि विधान कि जानकारी पंडित जी के समस्त विद्वान गुरूजी से प्राप्त हुई पंडित जी ने शिक्षा श्री महर्षि सांदीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान उज्जैन वेदविभूषित शिक्षारत |
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सामान्यतः जन्म कुंडली के बाकी सात ग्रह राहु और केतु के मध्य स्थित हो जाते हैं तो उस स्थिति को "कालसर्पयोग" कहते हैं।
मंगल ग्रह यदि जन्मकुंडली के लग्न, चतुर्थ भाव, सप्तम भाव, अष्टम भाव, द्वादश भाव में हो तो कुंडली को मांगलिक माना जाता है|
पित्र दोष पूजन निवारण और इस पूजन से क्या क्या फल यजमान को प्राप्त होता है मुख्यपितृदोष तीन प्रकार का होता है|
हिंदू धर्मशास्त्रों के मुताबिक भगवान शिव का पूजन करने से सभी मनोकामनाएं शीघ्र ही पूर्ण होती हैं।
बृहस्पति और राहु जब साथ होते हैं या फिर एक दूसरे को किन्ही भी भावो में बैठ कर देखते हो, तो गुरू चाण्डाल योग निर्माण होता है।
यदि लड़के अथवा लड़की की कुंडली में सप्तम भाव अथवा बारहवां भाव क्रूर ग्रहों से पीडि़त हो अथवा शुक्र, सूर्य, सप्तमेष अथवा द्वादशेष, शनि से आक्रांत हों।